सोमवार, 1 अगस्त 2011

कौन था वो |


कौन था वो

छोटा सा

चार पाँव चलता था

गिरता था

संभलता था

माता की गोदी में

रोता और मंचलता था

मैं ही था |



कौन था वो,

सुबह, स्कूल प्रार्थना में

गाता था,

साथियों के साथ

रोज पहाड़े सुनाता था,

मैं ही था |



कौन था वो,

हो के बड़ा

सुंदरता तकता था,

प्रेमिका के ख्यालों में

कविताएँ लिखता था,

मैं ही था |



कौन था वो,

प्रियतमा को

घर ले के आया था,

सारी रात जगता था,

एक पल ना

थकता था,

मैं ही था |



कौन था वो,

पैसा और पैसा

कमाता था,

कभी इधर, कभी उधर

चक्कर लगाता था,

शोहरत के, ताक़त के

सपने सजाता था,

मैं ही था |



कौन था वो

पहले सी ताक़त ना पाता था,

थोड़ी सी मेहनत से

ज़्यादा थक जाता था,

हसरतें हज़ारों थीं

कर कुछ ना पाता था,

मैं ही था |



कौन था वो

जीवन भर

माया से, काया से,

दौलत से, शोहरत से

मुक्ति ना पाता था,

एक दिवस

छोड़ सभी,

दूर चला जाता था,

मैं ही था |



राजीव जायसवाल

२७/०३.२०११











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