सोवत , जागत
उठत , बैठत
खावत , पीवत
शोर मचाता
कौन है रे
ये कौन है रे---
मन है ये
ये मन है रे |
कभी उछलता
कभी मचलता
कभी उबलता
कभी पिघलता
कौन है रे
ये कौन है रे---
मन है ये
ये मन है रे |
कभी रूप पर
कभी रंग पर
कभी देह पर
कभी सेज पर
कौन फिसलता
कौन है रे
ये कौन है रे---
मन है ये
ये मन है रे |
कभी काम के
बस में होता
कभी राम के
ध्यान में खोता
कभी कामिनी के
गुण गाता
कभी श्याम जी की
धुन गाता
कौन है रे
ये कौन है रे---
मन है ये
ये मन है रे |
राजीव
१९/०२/२०१२