मंगलवार, 23 अगस्त 2011

वो लड़का ,मैं ही था |


वो लड़का
मैं ही था
उस के आने का समय
मुझ को पता था ,
उस के जाने का समय
मैं जानता था ,
उस गली के मोड़ पर
या बस की लाइन में
या उस के घर के नीचे
यूँही मैं घूमता था ,
देखता उस को
नज़र से चूमता था
वो लड़का मैं भी था |

नाम उस का
जाने क्या था ,
मैं उसे
कहता परी था ,
झील सी आँखें थीं उसकी
चाँद सा चेहरा ,
रात दिन
उसी को सोचता था ,
हर घड़ी
मैं उसी को खोजता था |

बहुत बीते साल
अब कहीं मैं
और कहीं वो ,
जाने कहाँ
वो दिन गये खो ,
अब भी मैं
भुला ना उसको ,
वो मेरा प्यार थी पहला ,
हो कहीं भी वो
रहे खुश वो
भले मुझे वो दे भुला |

राजीव
२१/०८/२०११

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