रविवार, 7 अगस्त 2011

सच नहीं कुछ भी |


सच नहीं कुछ भी

झूठ भी कुछ नहीं

पाप नहीं कुछ भी

पुण्य भी कुछ नहीं |



लोक नहीं कुछ भी

परलोक भी कुछ नहीं

स्वर्ग नहीं कुछ भी

नर्क भी कुछ नहीं |



विश्वास नहीं कुछ भी

संदेह भी कुछ नहीं

आकाश नहीं कुछ भी

धरा भी कुछ नहीं |



कुछ भी नहीं है , कुछ भी

सब कुछ भी, नहीं कुछ भी

इस पार नहीं कुछ भी

उस पार , कुछ नहीं |



कुछ है, तो मैं हूँ, वो है

कोई और ,कुछ नहीं

जब उस में खो गया मन

तो वो है, मैं नहीं |



राजीव जायसवाल

१८/०९/२०१०

मालिक, तेरी रज़ा रहे, और तू ही तू रहे, बाकी ना मैं रहूं, ना मेरी आरज़ू रहे |

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