शुक्रवार, 12 अगस्त 2011
ना जाने किस ने वफ़ा की |
ना जाने किस ने वफ़ा की
ना जाने किस ने जफ़ा की
कोई वफ़ा को जफ़ा समझ बैठा
कोई जफ़ा को वफ़ा समझता रहा |
ना जाने किस से भूल हुई
ना जाने किस ने भूल ना की
कोई भुलाने में माहिर था
कोई माहिर को भुला बैठा |
ना जाने सच क्या है
ना जाने सोच क्या है
कोई सब से वफ़ा कर बैठा
कोई वफ़ा को सब समझ बैठा |
ना जाने भुलाया किसने
ना जाने भुलवाया किसने
कोई भूल से भुला बैठा
कोई भूल कर भी भूल ना सका |
ना जाने क्या बात हुई
ना जाने क्या ना बात हुई
कोई बातों पर मर बैठा
कोई बात से मुकर बैठा |
This poem mentioned below in roman script--
Na jane kisne wafa ki
Na jane kisne jafa ki
Koi wafa ko jafa samjha
Koi jafa ko wafa samjha
Na jane kis se bhul hui
Na jane kisne bhul na ki
Koi bhulane mein mahir tha
Koi mahir ko bhula baitha
Na jane sach kya hai
Na jane soch kyat hi
Koi sab se wafa kar baitha
Koi wafa ko sab samajh baitha.
Na jane bhulya kisney
Na janey bhulvaya kisne
Koi bhul se bhula baitha
Koi bhul kar bhula na saka
Na jane vo kya bat hui
Na jane bat kya na hui
Koi baton par mar baitha
Koi bat se mukar baitha.
RAJIV JAYASWAL
20/06/2010
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