मन में
म भी न भी
फिर भी मन
मनमानी
माया कारण चंचला
इत उत
हर पल जाहि |
मन
मीता
मन दुश्मना
मन के
सब अधीन
मन से
जो बेमन हुआ
वो ही बस
स्वाधीन |
मन
मंदिर
मन देवता
फिर भी
मन बदनाम
मन ही मन
मैं , मैं करे
माया के आधीन |
मन
रामा
मन रावणा
मन साधु
मन चोर
मन के
कितने रूप हैं
मन पर
किसका ज़ोर |
मन
माया का मीत है
काया संग
करे प्रीत,
मोह कारण
सोता रहे
कुंभकरण की रीत |
मन
दुविधा में फँस रहा
दुख , सुख
से घबराए
ऐसी करनी
ना करे
दुख कभी
निकट ना आए |
मन
पानी का बुदबुदा
मन पर्वत का चोट
मन
पल में
करता पतन
मन जाग
बुद्ध बन जाए |
राजीव जायसवाल
२७/१०/२०१०
बेहतरीन।
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कल 08/08/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!