बुधवार, 17 अगस्त 2011

कहाँ रहता है वो |


हैरान हूँ मैं देख कर

कुदरत के खेल को,

कहाँ से आ रहे हैं सब,

कहाँ को जा रहे हैं सब

वो जाने कौन है,

जिस की है सारी खुदाई ये,

क्या जाने सोच कर उसने,

खुदाई ये बनाई है |



कहाँ रहता है वो मलिक

नज़र वो क्यों नहीं आता,

सितारे, चाँद, सूरज, धरती पर

उस की रहनुमाई है,

हरेक जरे में बसता तो

दिखाई क्यों नहीं देता,

हरेक को देखता हर ,

नज़र से रहता क्यों ओझल |



कितने रूप , कितने चेहरे

हर तरफ भीड़,हम अकेले

किसी भी रोज़ कोई,

बिन कहे चला जाता है

कितनी आवाज़ भी दो,

वापिस वो नहीं आता है

जिस जगह जाता है,

कुछ लेके नहीं जाता है

ऐसी दुनिया में तो अब,

रहने से डर लगता है,

भोर का देखा है सूरज

शाम का पता क्या है |



आज सब मिल के

खड़े हो जाओ,

आज सब मिल के

ये कसम खाओ,

एक दिन छोडो सभी कम

वहाँ सब मिल के चलो,

जहाँ से जाके

वापिस ना कोई आता है,

पता करे की है कौन

जो बुलाता है,

कहो सभी उस से

की ये चक्कर क्या है,

कहाँ ले जाता है सबको

और क्यों ले जाता है |


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