मंगलवार, 19 जुलाई 2011


हम क्या हैं

अस्थि और माँस,

जिस में चलती

हर पल सांस,

हृदय धड़कता है

दिन रैन,

पलक झपकते हैं

दो नैन |



मनवा सोचे बारंबार

जीवन का अद्भुत व्यवहार ,

दो हाथों से

करते काम,

पैर चलत हैं

सुबह शाम |



हृदय स्थल में

बसते प्राण,

ध्वनि को सुनते

दो कान,

जिव्हा से

वाणी व्यवहार,

भाव, कामना

प्रेम, विचार,

इन सब का

मनवा आधार |



कैसा अद्भुत

मानव यंत्र,

अंधकूप होता निर्माण,

नौ माहों तक

चलता काम |



कौन बनाया

मानव यंत्र,

जिस में फूका

जीवन मंत्र,

सब अचरज का कारोबार ,

कौन रचियता

कौन कुम्हार,

सदियों से सब

करें विचार |



राजीव जायसवाल

१६/१२/२०१०



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें