मंगलवार, 13 दिसंबर 2011

बतला ज़रा-----

इतने साल जी लिया
क्या किया
बतला ज़रा-----

रोज सुबह
उठ गया ,
रोज रात
सो गया ,
दिवस भर
भागा फिरा ,
इसे ठगा
उसे ठगा ,
थोड़ा सा
कमा लिया ,
थोड़ा सा
गवाँ दिया ,
क्या किया
बतला ज़रा-----


कुछ खा लिया
कुछ पी लिया ,
दुनिया का भी
मज़ा लिया ,
भला किया
बुरा किया ,
इस के अलावा
क्या किया
बतला ज़रा-----


इस से
आँख मिल गई ,
उस से
आँख मिल गई ,
इस से
प्यार कर लिया ,
उस से
इज़हार कर लिया ,
इस के साथ
घूम लिया ,
उस का हाथ
चूम लिया
इस से
धोखा खा लिया
उस को
धोखा दे दिया
इस के अलावा
क्या किया
बतला ज़रा-----

धर्मग्रंथ
पढ़ लिया ,
परमात्मा
सिमर लिया ,
देवों का भी
नमन किया ,
मंदिर में
कीर्तन किया ,
इस के अलावा
क्या किया
बतला ज़रा-----

राजीव जायसवाल
१०/१२/११

गुरुवार, 1 दिसंबर 2011

जागो रे जिन जागना |



सुबह उठे
दिवस भर भागे
सांझ भई
घर भागन लागे ,
रात अंधेरा
निंदिया लागे ,
दिवस रैन
बस भागम भागे ,
वृद्ध भए
तो रोवन लागे
केह कारण
मनवा ना जागे |

ना जग तेरा
ना जग मेरा
सब दो दिन का
रैन बसेरा ,
नौ माहा
उल्टा हो लटका ,
गर्भ जोनि
सदियों से भटका ,
बार बार
मरना और जीना
बार बार
माया में लीना |

यह संसार है
गोरख धंधा
नयन पास
फिर भी सब अँधा
करें तो क्या
कुछ समझ ना आता |

जागो रे मन
अब ना जागे
तो कब जागे ,
माया के सपने में सोए ,
विषय , वासना
मद में खोए ,
दिवस रात
सपनों में खोए
जागो रे मन
अब ना जागे
तो कब जागे |

जागो रे जिन जागना
अब जागन की बार ,
फिर क्या जागे नानका
जब छोड़ चले संसार |


राजीव
/१२/२०११