कुछ कम नहीं है
है शरीर
हाथ भी है
पैर भी है
है दिमाग़ भी
मगर
एक माँगता है भीख
और
एक देता भीख है
इतना अंतर क्यों है ?
कुछ कम नहीं है
बुद्धि भी है
आत्मा है
चैतन्यता भी है
मगर
कोई डालता डाका
और
कोई रहता है भूखा
मगर
ना चोरी का ख़ाता
इतना अंतर क्यों है ?
कुछ कम नहीं है
रूप है
लावणय भी है
और यौवन भी
मगर
कोई देह के सौदे में
ना पल भर हिचकता है
और
कोई देह अपनी
छोड़ देता
मगर अस्मत नहीं देता
इतना अंतर क्यों है ?
कुछ कम नहीं है
कर्म भी है
मेधा भी है
है परिश्रम भी
मगर
कोई खींचतारिक्शा
तपती धूप में
और
कोई वातानुकूलित कार में चलता
इतना अंतर क्यों है ?
राजीव जायसवाल
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