बुधवार, 24 दिसंबर 2014

जिस मरने से जग डरे ---ऐसा मरण ना होए |

जिस मरने से जग डरे
ऐसा मरण ना होए
तन चाहे बूढा हो जाए
प्राण अन्त ना होए ।
जिन से नेह किया जीवन भर
ना हम से बिछडें वो मर कर
हम भी सदा जिएं , मरें ना
मृत्यु पाश से हृदय डरे ना |
मृत्यु में कोई बोध नहीं है
मर जाना कोई योग नहीं है
जीवन है सुख दुख का संगम
रुदन , हर्ष का मिलन विहंगम |
ये जीवन आनंद स्रोत है
सूर्य , चन्द्र की जगी ज्योत है
कभी भी काल रात्रि ना होए
कोई ना सदा सदा को सोए |
प्रणय , काम , अतुलित आनंद
जीवन है सुख दुख का छंद
जीवन के इस अमर ग्रंथ का
अंतिम पृष्ठ ना होए |
कोई ना सदा सदा को सोए |
--------------------राजीव जायसवाल
२३/१२/२०१४
ऐसा कुछ हो , कोई कभी मरे ना
मृत्यु पाश से , कोई कभी डरे ना |