रविवार, 23 अक्तूबर 2011
आस्था के चमत्कार |
ईश्वर में सच्ची आस्था हो तो सब कुछ संभव होता है | जीवन में कई बार ऐसे प्रसंग देखने में आते हैं, जब हम हैरान रह जाते हैं |
मेरा आर्य समाजी परिवार में जन्म होने के कारण देवी ,देवता और मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं था और मैं निराकार ईश्वर के अस्तित्व पर ही विस्वास करता था | मेरी पत्नी वंदना , सनातनी परिवार से हैं , और देवी, देवताओं और मूर्ति पूजा में विश्वास करती है | मैने भी कभी उन के विस्वास का विरोध नहीं किया | घर में ही एक छोटा सा मंदिर भी है, लेकिन मैं ध्यान ही करता था |
यह बात करीब दस वर्ष पूर्व की है | मैं और वंदना रात को खाने के बाद अपनी सोसाइटी में घूम रहे थे, की वंदना ने माता वैष्णो देवी जाने की इच्छा बताई| मैने भी टालते हुए कह दिया की -- लोग कहते हैं, जब माँ बुलाती हैं, तभी जाना हो पता है, जब तुम्हारा बुलावा आएगा, तभी जा पाओगी | श्रीमती जी, यह बात सुन कर चुप हो गई |
अगले दिन मैं अपने ऑफीस मैं था, की मेरे दोस्त डॉक्टर विजय लेखी का फोन आया | डॉक्टर लेखी अस्थि विशेषग्य थे और अब इस दुनिया में नहीं हैं | डॉक्टर लेखी ने पहले हाल चाल पूछा और फिर बोले-- क्या तुम को माता वैष्णो देवी चलना है ?
मैं यह सुन कर हैरान रह गया और मुझे वंदना के साथ पिछली रात को अपना कहा यह वाक्य याद आ गया की जब माता का बुलावा आता है, तभी जाना हो पता है | मैने डॉक्टर से पूछा की कब जाना है , तो वे बोले--- कल सुबह ही जाना है, और अभी जवाब दो, कार की , होटेल की बुकिंग हो चुकी है | ,,मैने हैरान होते हुए , जाने के लिए हाँ कर दी |
मैने फिर वंदना को फोन किया और अगले दिन वैष्णो देवी जाने की बात बताई तो वो भी खुशी से हैरान हो गयी |
अगले दिन हम लोग वैष्णो देवी के लिए रवाना हो गये, कार , होटेल सब कुछ बुक थे, मुझे कुछ भी नहीं करना पड़ा |डॉक्टर लेखी ने सब इंतजाम कर रखा था | हम लोग की वैष्णो देवी यात्रा बहुत अच्छी रही|
हम लोग हैरान थे की एक रात पहले मैं और वंदना , जिस माता की इच्छा की बात हम लोग एक रात पहले कर रहे थे वो इच्छा अगले दिन ही सार्थक हो गयी |
राजीव जायसवाल
06/09/2011
मेरा आर्य समाजी परिवार में जन्म होने के कारण देवी ,देवता और मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं था और मैं निराकार ईश्वर के अस्तित्व पर ही विस्वास करता था | मेरी पत्नी वंदना , सनातनी परिवार से हैं , और देवी, देवताओं और मूर्ति पूजा में विश्वास करती है | मैने भी कभी उन के विस्वास का विरोध नहीं किया | घर में ही एक छोटा सा मंदिर भी है, लेकिन मैं ध्यान ही करता था |
यह बात करीब दस वर्ष पूर्व की है | मैं और वंदना रात को खाने के बाद अपनी सोसाइटी में घूम रहे थे, की वंदना ने माता वैष्णो देवी जाने की इच्छा बताई| मैने भी टालते हुए कह दिया की -- लोग कहते हैं, जब माँ बुलाती हैं, तभी जाना हो पता है, जब तुम्हारा बुलावा आएगा, तभी जा पाओगी | श्रीमती जी, यह बात सुन कर चुप हो गई |
अगले दिन मैं अपने ऑफीस मैं था, की मेरे दोस्त डॉक्टर विजय लेखी का फोन आया | डॉक्टर लेखी अस्थि विशेषग्य थे और अब इस दुनिया में नहीं हैं | डॉक्टर लेखी ने पहले हाल चाल पूछा और फिर बोले-- क्या तुम को माता वैष्णो देवी चलना है ?
मैं यह सुन कर हैरान रह गया और मुझे वंदना के साथ पिछली रात को अपना कहा यह वाक्य याद आ गया की जब माता का बुलावा आता है, तभी जाना हो पता है | मैने डॉक्टर से पूछा की कब जाना है , तो वे बोले--- कल सुबह ही जाना है, और अभी जवाब दो, कार की , होटेल की बुकिंग हो चुकी है | ,,मैने हैरान होते हुए , जाने के लिए हाँ कर दी |
मैने फिर वंदना को फोन किया और अगले दिन वैष्णो देवी जाने की बात बताई तो वो भी खुशी से हैरान हो गयी |
अगले दिन हम लोग वैष्णो देवी के लिए रवाना हो गये, कार , होटेल सब कुछ बुक थे, मुझे कुछ भी नहीं करना पड़ा |डॉक्टर लेखी ने सब इंतजाम कर रखा था | हम लोग की वैष्णो देवी यात्रा बहुत अच्छी रही|
हम लोग हैरान थे की एक रात पहले मैं और वंदना , जिस माता की इच्छा की बात हम लोग एक रात पहले कर रहे थे वो इच्छा अगले दिन ही सार्थक हो गयी |
राजीव जायसवाल
06/09/2011
मैं तेरी गोद में हूँ |
बहुत से लोग हैं
इस दुनिया में
बहुत हसीन
बहुत ज़हीन
बहुत कमसिन
और जाने क्या नहीं
एक हम हैं
नहीं, कुछ भी नहीं
ना ज़हीन
ना हसीन
ना कमसिन
ना हमारा कोई नाम
ना हम ने किया कोई काम
ना ही पाया हम ने
कोई मुकाम
ना ही हम
बन सके महान
ना ही बना सके
बड़े बड़े मकान
क्या किया हम ने
क्यों जन्म लिया हम ने |
बता दे मेरे प्रभु
क्यों किया ऐसा
ना रूप, ना रंग, ना रुपया, ना पैसा
क्यों किया ऐसा
बता ना
क्यों किया ऐसा |
सुन मेरे बच्चे
तू कैसी बात करता है
दिए माता, पिता
भाई, बंधु
प्यारी सी पत्नी
फूल से बच्चे
दोस्त , साथी
मान मर्यादा
कितना कुछ
तुझ को दिया
फिर भी शिकायत
मुझ से करता है
याद रख
सब को सभी कुछ
तो नहीं मिलता |
किसी को रूप मिलता
माता, पिता का सुख नहीं मिलता
किसी को पैसा मिलता
भोगने का सुख नहीं मिलता
किसी को नाम मिलता
दुख में कोई साथ खड़ा इंसान नहीं मिलता
कर क्षमा
मेरे प्रभु
उपकार तेरे भूल जाता हूँ
मैं पागल हूँ
नाम, रूप , रुपया
गाए जाता हूँ |
जो दिया
अच्छा दिया
वो ही दिया
मैं जिस के काबिल था
मैं तेरी गोद में हूँ
हे प्रभु
तू मेरा माता पिता है
संग साथी है
फिर मुझे परवाह क्या
शुक्रिया तेरा
हे प्रभु शुक्रिया |
राजीव
इस दुनिया में
बहुत हसीन
बहुत ज़हीन
बहुत कमसिन
और जाने क्या नहीं
एक हम हैं
नहीं, कुछ भी नहीं
ना ज़हीन
ना हसीन
ना कमसिन
ना हमारा कोई नाम
ना हम ने किया कोई काम
ना ही पाया हम ने
कोई मुकाम
ना ही हम
बन सके महान
ना ही बना सके
बड़े बड़े मकान
क्या किया हम ने
क्यों जन्म लिया हम ने |
बता दे मेरे प्रभु
क्यों किया ऐसा
ना रूप, ना रंग, ना रुपया, ना पैसा
क्यों किया ऐसा
बता ना
क्यों किया ऐसा |
सुन मेरे बच्चे
तू कैसी बात करता है
दिए माता, पिता
भाई, बंधु
प्यारी सी पत्नी
फूल से बच्चे
दोस्त , साथी
मान मर्यादा
कितना कुछ
तुझ को दिया
फिर भी शिकायत
मुझ से करता है
याद रख
सब को सभी कुछ
तो नहीं मिलता |
किसी को रूप मिलता
माता, पिता का सुख नहीं मिलता
किसी को पैसा मिलता
भोगने का सुख नहीं मिलता
किसी को नाम मिलता
दुख में कोई साथ खड़ा इंसान नहीं मिलता
कर क्षमा
मेरे प्रभु
उपकार तेरे भूल जाता हूँ
मैं पागल हूँ
नाम, रूप , रुपया
गाए जाता हूँ |
जो दिया
अच्छा दिया
वो ही दिया
मैं जिस के काबिल था
मैं तेरी गोद में हूँ
हे प्रभु
तू मेरा माता पिता है
संग साथी है
फिर मुझे परवाह क्या
शुक्रिया तेरा
हे प्रभु शुक्रिया |
राजीव
शनिवार, 22 अक्तूबर 2011
हर बंदा , रावण औ राम |
हर बंदे में
प्रेम भावना
हर बंदे में
प्रणय कामना
हर बंदे में
प्रभु बंदगी
हर बंदे में
है दरिंदगी |
हर बंदे में
एक कविता
हर बंदे में
एक रचियता
हर बंदे में
एक देवता
हर बंदे में
छिपा प्रेत सा |
हर बंदे में
छोटा सा बच्चा
हर बंदे में
आदम एक सच्चा
हर बंदे में
आकुल मन एक
हर बंदे में
रोगी तन एक |
हर बंदा
है गुण की ख़ान
हर बंदा
बोधिसत्व महान
हर बंदा
देवत्व स्वरूप
हर बंदा
कृतित्व अनूप |
हर बंदा
कोशिका का जाल
हर बंदा
परमाणु ख़ान
हर बंदा
एक जटिल शरीर
हर बंदा
हर बंदा
है संत कबीर |
हर बंदा
पावन ज्यों गंग
हर बंदा
नीचा औ नंग
हर बंदा
रावण औ राम
हर बंदा
कन्स औ श्याम
हर बंदा
निपट बकवास
हर बंदा
है प्रभु निवास |
राजीव
१७/१०/२०११
सोमवार, 17 अक्तूबर 2011
माया माया , मन भरमाया |
माया माया
मन भरमाया
योग , ध्यान
कुछ काम ना आया
जब माया ने
तीर चलाया
माया माया
मन भरमाया |
मन को कभी
काम ने घेरा
राम नाम का
रस बिसराया
कोमल बदन
काजर नयन
प्रेम पाश फँस
जानम प्रीत में
जन्म गँवाया
माया माया
मन भरमाया |
मन को कभी
रुपईया भाया
सुबह शाम
धन खूब कमाया
धर्म ना जाना
मर्म ना जाना
पैसा पैसा
पास में आया
अंत समय
जब चला बावरा
खाली हाथ
कुछ साथ ना जाया
माया माया
मन भरमाया |
राजीव
१८/१०/२०११
माया मुई, ना मन मुआ
मर मर गया शरीर
आशा तृष्णा
ना मरी
कह गये
दास कबीर |
Maya clings to the mind and causes it to waiver in so many ways.
O Lord, when you restrain someone from asking for wealth , then O Nanak , he comes to love the name.
O Lord, when you restrain someone from asking for wealth , then O Nanak , he comes to love the name.
SGGS
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