है सभी कुछ पूर्व निश्चित
तो हम यहाँ
क्या कर रहे हैं ?
कर्मों का परिणाम
मिलना है,
नहीं मिलना
ये सभी कुछ
पूर्व कर्मों पर है आधारित,
तो हम यहाँ
क्या कर रहे हैं ?
स्वास्थ्य का
व्यापार का
बनना , बिगड़ना
मित्रों से व्यवहार का
बनना, बिगड़ना
घर से या परिवार से
मिलना, बिछड़ना
है सभी कुछ पूर्व निश्चित
तो हम यहाँ
क्या कर रहे हैं ?
कल में क्या होगा
किस पल में
क्या होगा,
हर घड़ी, हर पल
रहता हमारा
मन विकल,
ठीक बीतेगा
हमारा कल
या नहीं
अनिश्चितता की
लटकती सर पे सदा तलवार
तो हम यहाँ
क्या कर रहे हैं ?
कर्म होगा
या ना होगा
फल मिलेगा
ना मिलेगा
कर्म होना भी
नहीं निश्चित
फल का मिलना भी
नहीं निश्चित
है सभी कुछ
गर विधि के हाथ
तो हम यहाँ
क्या कर रहे हैं ?
राजीव जायसवाल
this poem is presented below in roman script-------
HAI SABHI KUCH PURVA NISCHIT
TO HUM YAHAN
KYA KAR RAHE HAIN
KARMON KA PARINAM
MILNA HAI
NAHIN MILNA
YE SABHI KUCH
PURVA KARMO PAR
HAI ADHARIT
TO HUM YAHAN
KYA KAR RAHE HAIN.
SWASTHYA KA
VYAPAR KA
BAN NA YA BIGDNA.
MITRON SE VYAVHAR KA
BAN NA , BIGDNA
GHAR SE YA PARIVAR SE
MILNA , BICHADNA
HAI SABHI KUCH PURVA NISCHIT
TO HUM YAHAN
KYA KAR RAHE HAIN.
KAL MEIN KYA HOGA
KIS PAL MEIN KYA HOGA
HAR GHADI
HAR PAL
RAHTA HAMARA MAAN VIKAL
THEEK BEETEGA
HAMAR KAL
YA NAHIN
ANISCHIT TA KI
LATAKTI SIR PAR SADA TALWAR
TO HUM YAHAN
KYA KAR RAHE HAIN.
KARM HOGA
YA NA HOGA
FAL MILEGA NA MILEGA
KARM KARNA BHI
NAHIN NISCHIT
FAL KA PANA BHI
ANISCHIT HAI
HAI SABHI KUCH GAR
VIDHI KE HATH
TO HUM YAHAN
KYA KAR RAHE HAIN
RAJIV JAYASWAL
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