बुधवार, 17 अगस्त 2011

हालेदिल |

ये शाम बहुत उदास सी है

दिल में कैसी अजीब प्यास सी है

क्या बताएँ तुम्हे हम हालेदिल

बहुत अकेले हैं, कोई तो जाए मिल |



किसी की आस में, ये उम्र सारी बीत गयी

किसी तलाश में ये मन, कहाँ कहाँ भटका

की कोई ये तो बता दे कभी भी आ के हमें

कभी मिलेगा वो की नहीं, किसी शहर में |



ना जाने कौन चुपके से हमें बुलाता है

किसी जगह वो हमको नज़र ना आता है

ये मेरे मन का भुलावा है,या कोई जादूगरी

कहीं कोई भी नहीं है, ये कैसी है नगरी |



क्या तुम को भो कोई आवाज़ आती है

किसी की याद तुम को कभी सताती है

क्या तुमने भी कोई वो ख्वाब देखा है

कहीं से आके कोई तुम को चूम लेता है |



जो मेरे साथ है, वो अपने से नहीं लगते

जो मुझ से दूर हैं, वो अपने हो नहीं सकते

कभी कहीं ऐसा सा कोई मिल जाए,

जिस से मिल के,मन को सुकून मिल जाए |



राजीव जायसवाल

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