मंगलवार, 2 अगस्त 2011

सब हैरानी है |


शरण लेता

गर्भ में मां की,

बीज से

एक रूप ले लेता,

एक अंधेरी सी गुफा में

माह नौ रहता,

सब हैरानी है

अजब कहानी है |



लड़खड़ाता

गिरता, उठता,

गोद में मां की

मचलता,

तोतली बोली में

सब से बात करता,

सब हैरानी है,

अजब कहानी है |



ताड़ सा

बढ़ता ही जाता,

लिखता, पढ़ता,

रूप देहि का

निखरता,

हर समय

बनता, संवरता,

क्या जवानी है,

सब हैरानी है,

अजब कहानी है |



प्यार करता,

वासना के ज्वार में

बहता, उबरता,

देह से ही

नेह करता,

अपनी पीढ़ी को बढ़ाता,

सब हैरानी है,

अजब कहानी है |



धीरे, धीरे

बूढ़ा होता

उँट की माफिक

समय का बोझ ढोता,

रूप ,यौवन गर्त होता,

लोहे सा तन

व्यर्थ होता,

कभी हंसता, कभी रोता,

सब हैरानी है,

अजब कहानी है |



एक दिन

सब छोड़ जाता,

सब से नाता

तोड़ जाता,

बन के अर्थी

सैर करता

चार कंधों पर,

और जल कर

राख हो जाता,

सब हैरानी है,

अजब कहानी है |



राजीव जायसवाल

०२/१२/२०१०







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