शरण लेता
गर्भ में मां की,
बीज से
एक रूप ले लेता,
एक अंधेरी सी गुफा में
माह नौ रहता,
सब हैरानी है
अजब कहानी है |
लड़खड़ाता
गिरता, उठता,
गोद में मां की
मचलता,
तोतली बोली में
सब से बात करता,
सब हैरानी है,
अजब कहानी है |
ताड़ सा
बढ़ता ही जाता,
लिखता, पढ़ता,
रूप देहि का
निखरता,
हर समय
बनता, संवरता,
क्या जवानी है,
सब हैरानी है,
अजब कहानी है |
प्यार करता,
वासना के ज्वार में
बहता, उबरता,
देह से ही
नेह करता,
अपनी पीढ़ी को बढ़ाता,
सब हैरानी है,
अजब कहानी है |
धीरे, धीरे
बूढ़ा होता
उँट की माफिक
समय का बोझ ढोता,
रूप ,यौवन गर्त होता,
लोहे सा तन
व्यर्थ होता,
कभी हंसता, कभी रोता,
सब हैरानी है,
अजब कहानी है |
एक दिन
सब छोड़ जाता,
सब से नाता
तोड़ जाता,
बन के अर्थी
सैर करता
चार कंधों पर,
और जल कर
राख हो जाता,
सब हैरानी है,
अजब कहानी है |
राजीव जायसवाल
०२/१२/२०१०
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