अब मन है
मैं नव शरीर पा ऊँ ,
सुन्दर , कोमल
बच्चा बन ,
जन्म पुनः पा ऊँ |
नौ माहा
नौ माहा
फिर गर्भ में लट कूं ,
फिर बाहर आ ऊँ ,
माता का अमृत स्नेह मिले
फिर दुलराया जा ऊँ |
उठ गिरता
उठ गिरता
मैं चलूँ दोबारा ,
नव अंगना पा ऊँ ,,
खेल खिलोने मिले दोबारा
फिर से तुतला ऊँ |
फिर से पढूं
फिर से तुतला ऊँ |
फिर से पढूं
पढाई सारी
फिर यौवन पा ऊँ
फिर से प्रेम करूँ दोबारा
फिर यौवन पा ऊँ
फिर से प्रेम करूँ दोबारा
आलिंगन पा ऊँ |
नव यौवन , नव देह मिलेगी
नव यौवन , नव देह मिलेगी
नव जीवन होगा ,
इस जीवन के संबंधों से
बंध ख़तम होगा |
फिर सोचूं
फिर सोचूं
मैं तो जाऊंगा ,
प्रियों का क्या होगा
मेरी पत्नी और बच्चों का
हाल बुरा होगा ,
मुझ बिन कैसे रह पाएँगे
मुझ बिन कैसे रह पाएँगे
क्या मेरा दुःख
सह पाएँगे |
फिर सोचूं
फिर सोचूं
कितने जन्मों से
देह बदलता आया
कभी किसी घर
कभी किसी घर
नव जीवन पाया |
मेरे ऊँ जन्मों के साथी
मेरे ऊँ जन्मों के साथी
मुझ बिन
तरसे होंगे ,
न जाने
तरसे होंगे ,
न जाने
कितने प्रिय जन
मुझ से बिछड़े होंगे |
पुनि पुनि जनमं
पुनि पुनि मरणं
जन्म मरण का आवागमनम
मुझ से बिछड़े होंगे |
पुनि पुनि जनमं
पुनि पुनि मरणं
जन्म मरण का आवागमनम
कब तक यूँही चलेगा ,
सब को छल ने वाला छलिया
कब तक यूँही छलेगा |
राजीव
१०/१०/२०१२
पुनि पुनि जनमं
राजीव
१०/१०/२०१२
पुनि पुनि जनमं
पुनि पुनि मरणं
पुनि पुनि जननि
जठरा शयनं
एह संसारे बहु दुश्तारे
त्राहि मुरारे |
-------------शंकराचार्य
-------------शंकराचार्य
कविता के शब्दों का आकलन संभव नहीं है क्योंकि श्रेष्ठतम है ...मंकी बलवती इच्छा जो प्रार्थना के करीब है,,,उसके लिए जहां इश्वर सच्ची है ,,,,अति सुंदर
जवाब देंहटाएंVery very nice.
जवाब देंहटाएंcute one as cute baby......
जवाब देंहटाएंGod bless u Rajiv ji...