सोमवार, 1 अगस्त 2011

क्या करूँ |


क्या करूँ

सार्थक हो जाए

ये जीवन ,

क्या करूँ

हर घड़ी हो जाए

ये पावन,

क्या करूँ

भ्रमित मन का

दूर भ्रम हो,

क्या करूँ

शुष्क मन की धरा

नम हो |



क्या करूँ

खुद को खुद से

लाज ना हो ,

क्या करूँ

मन हर घड़ी

बेताब ना हो ,

क्या करूँ

जो काम चाहूं

वो करूँ मैं ,

क्या करूँ

हो काम पूरे

जब मरूं मैं |



क्या करूँ

मुझ में रहे

विश्वास मेरा ,

क्या करूँ

ना हो कभी

उपहास मेरा ,

क्या करूँ

दौर्बल्य मन का

ना डराए ,

क्या करूँ

मन , वासना ना

डूब जाए |



क्या करूँ

इतिहास में

अमरत्व पाउँ ,

क्या करूँ

विश्वास जन जन का

मैं पाउँ ,

क्या करूँ

गत कर्म फल से

मुक्ति पाउँ ,

क्या करूँ

ये खुद को कैसे

मैं बताउँ |



राजीव जायसवाल

५/०३/२०११

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