क्या करूँ
सार्थक हो जाए
ये जीवन ,
क्या करूँ
हर घड़ी हो जाए
ये पावन,
क्या करूँ
भ्रमित मन का
दूर भ्रम हो,
क्या करूँ
शुष्क मन की धरा
नम हो |
क्या करूँ
खुद को खुद से
लाज ना हो ,
क्या करूँ
मन हर घड़ी
बेताब ना हो ,
क्या करूँ
जो काम चाहूं
वो करूँ मैं ,
क्या करूँ
हो काम पूरे
जब मरूं मैं |
क्या करूँ
मुझ में रहे
विश्वास मेरा ,
क्या करूँ
ना हो कभी
उपहास मेरा ,
क्या करूँ
दौर्बल्य मन का
ना डराए ,
क्या करूँ
मन , वासना ना
डूब जाए |
क्या करूँ
इतिहास में
अमरत्व पाउँ ,
क्या करूँ
विश्वास जन जन का
मैं पाउँ ,
क्या करूँ
गत कर्म फल से
मुक्ति पाउँ ,
क्या करूँ
ये खुद को कैसे
मैं बताउँ |
राजीव जायसवाल
५/०३/२०११
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