कितने मिले, बिछड गये कितने
याद रहे, कुछ भूल गये
कुछ मिल जाते, आते जाते
कुछ नज़रों से दूर गये |
जो कल तक अपने से लगते
हैं आज बहुत बेगाने से
कल जो बेगाने लगते थे
अब जीवन भर वे संग रहें |
वो भूल गये होंगे हम को
कल जो अपने साथी थे
कई दिनों से मिले नहीं वो
कभी हमें रोज जो मिलते थे |
ये मन भी कैसा पागल है
क्यों उन को भूल नहीं पाता
जो सालों से हैं मिले नहीं
उन को सपनों में ले आता |
कई बार तो ऐसा होता
उन को हम भूल नहीं पाते
हम से कुछ पल जो मिले कहीं
हम उन को याद किए जाते |
क्यों कर के कोई मिलता है
मिल कर के बिछड क्यों जाता है
ये भेद बिछड़ने का , मिल कर
हम को तो समझ ना आता है |
जो लोग नहीं मिल पाते हैं
जो लोग याद भी आते हैं
ना जाने कहाँ पर होंगे वो
क्या याद उन्हें हम आते हैं |
राजीव जायसवाल
बहुत से लोग जीवन में मिलते हैं, कुछ लोग बहुत दूर हो जाते हैं, सालों तक जिन से मुलाकात नहीं होती , इन में से कुछ को हम भूल जाते हैं,कुछ बहुत याद आते हैं |कुछ दिल के बहुत करीब होते हैं, कुछ दिल से उतर जाते हैं |यह कविता इस मिलने और बिछड़ने पर लिखी गयी है |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें