रविवार, 7 अगस्त 2011

भूले बिसरे |

कितने मिले, बिछड गये कितने

याद रहे, कुछ भूल गये

कुछ मिल जाते, आते जाते

कुछ नज़रों से दूर गये |



जो कल तक अपने से लगते

हैं आज बहुत बेगाने से

कल जो बेगाने लगते थे

अब जीवन भर वे संग रहें |



वो भूल गये होंगे हम को

कल जो अपने साथी थे

कई दिनों से मिले नहीं वो

कभी हमें रोज जो मिलते थे |



ये मन भी कैसा पागल है

क्यों उन को भूल नहीं पाता

जो सालों से हैं मिले नहीं

उन को सपनों में ले आता |



कई बार तो ऐसा होता

उन को हम भूल नहीं पाते

हम से कुछ पल जो मिले कहीं

हम उन को याद किए जाते |



क्यों कर के कोई मिलता है

मिल कर के बिछड क्यों जाता है

ये भेद बिछड़ने का , मिल कर

हम को तो समझ ना आता है |



जो लोग नहीं मिल पाते हैं

जो लोग याद भी आते हैं

ना जाने कहाँ पर होंगे वो

क्या याद उन्हें हम आते हैं |

राजीव जायसवाल



बहुत से लोग जीवन में मिलते हैं, कुछ लोग बहुत दूर हो जाते हैं, सालों तक जिन से मुलाकात नहीं होती , इन में से कुछ को हम भूल जाते हैं,कुछ बहुत याद आते हैं |कुछ दिल के बहुत करीब होते हैं, कुछ दिल से उतर जाते हैं |यह कविता इस मिलने और बिछड़ने पर लिखी गयी है |

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