शनिवार, 13 अगस्त 2011

मन |


मन तो बंधन है

अंतर का द्वंद,

छन्द जीवन का |

अंग मुक्ति का

साधन है |



युक्ति का तन्त्र

अर्थ, काम, मोह, मोक्ष,

प्रयत्न जीवन पर्यंत |

सुख तो व्यंजन है

योग, रोग, भोग,

विरल ऐसा संयोग |



सूक्ष्म वायु के रंध्र

व्याप्त आयु की गंध |

युग तो मंचन है

पल भर का |



साँसों के पिंड अंग

मोह हुआ भंग,

जल में फेंका कंकर

कुछ पल उछली तरंग |


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