मन तो बंधन है
अंतर का द्वंद,
छन्द जीवन का |
अंग मुक्ति का
साधन है |
युक्ति का तन्त्र
अर्थ, काम, मोह, मोक्ष,
प्रयत्न जीवन पर्यंत |
सुख तो व्यंजन है
योग, रोग, भोग,
विरल ऐसा संयोग |
सूक्ष्म वायु के रंध्र
व्याप्त आयु की गंध |
युग तो मंचन है
पल भर का |
साँसों के पिंड अंग
मोह हुआ भंग,
जल में फेंका कंकर
कुछ पल उछली तरंग |
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