
ये तुम ने क्या किया
हीरे सा बदन दिया
माटी कर डाला,
भोग में डूबा रहा
कुछ योग ना किया,
सब कुछ खो डाला
ये तुम ने क्या किया |
फुलवा से गाल दिए
बदरा से बाल दिए,
कजरारे नयन दिए
लोहे से बदन दिए,
क्या कुछ ना दिया तुझे
माटी कर डाला,
सब कुछ खो डाला
ये तुम ने क्या किया |
हाथी सा चलता था
सब कुछ निगलता था,
कैसा अकड़ता था
सब से झगड़ता था,
अब कैसा हाल हुआ
जीना बेहाल हुआ,
चलता , ना फिरता है
उठने पर, गिरता है,
चंदन सा बदन तेरा
माटी कर डाला,
सब कुछ खो डाला
ये तुम ने क्या किया |
पैसों पर सोता था
अपनों से कर धोखा
गैरों का होता था,
तन की मांसलता पर
तू पागल होता था,
मन को ना समझ सका,
अंतर के अमृत का
ना तूने स्वाद चखा,
जीवन की दौलत को
माटी कर डाला,
सब कुछ खो डाला
ये तुम ने क्या किया |
ईश्वर हम को जन्म के समय जीवन की अनमोल सौगात देता है लेकिन हम उस अनमोल धरोहर को सहेज नहीं पाते |
राजीव जायसवाल
२६/०८/२०१०
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