शुक्रवार, 12 अगस्त 2011

मज़हब अगर ना होता-- इंसान सुख से सोता |


हिंदू खुदा को पूजे

भगवान , पूजे मुस्लिम

नफ़रत ना हो किसी में

क्या ऐसा होगा मुमकिन ?

जो हो नही ये सकता

निश दिन क्लेश होगा

मज़हब का नाम लेकर

दंगा ज़रूर होगा |



मज़हब के ठेकेदारों

रास्ता कोई निकालो,

नफ़रत कहीं ना होए

मंदिर ना कोई तोड़े

मस्जिद ना फिर गिराए,

एक ऐसा घर बनाओ

जिस में कोई भी इंसान

मज़हब ना कुछ बताए |



परमात्मा सर्व व्यापक, सर्व अंतर्यामी व दयालु है, हम ने उस को अलग अलग नाम दिए और ये भूल कर की सब नाम उसी एक परमात्मा के हैं, आपस में उसी के नाम पर लड़ने लगे, नफ़रत करने लगे | आइए हम सब मिलकर नफ़रत को समाप्त करें और आपसी भाईचारे और पूर को बढ़ाएँ |

राजीव जायसवाल

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