रविवार, 7 अगस्त 2011

निज भक्ति का ,दान मुझे दे |

मुझे शिकायत है

प्रभ तुझ से

मुझ को रखता

वंचित धन से |

दुनिया की

हर रोज दीवाली

मेरी जेब

हर घड़ी खाली |



अभी बहुत से

काम पड़े हैं

बच्चे भी

हो रहे बड़े हैं

खर्चे ना हो पाते पूरे

रहते सारे काम अधूरे |



मेहनत कर

तेरा पैसा मेरे पास रहेगा

तेरी ज़रूरत , जितनी होगी

वही मिलेगा

बाकी मेरे पास रहेगा |



तू भोला है

सब खो देगा,

ना कुछ तेरे

पास बचेगा |

मेरे पास रहेगा

तो सब बचा रहेगा|

पहले भी तू गँवा चुका है

तेरा सारा काम रुका है,

पहले जो

मुझ को दे देता,

मैं तुझ को गिन गिन के देता |

तेरा पैसा कम ना होता

तुझ को उस पर

सूद भी देता |



हे माधव

गोबिंद, मुरारी

तेरी ही माया है सारी

क्या खोया था

क्या पाया है

जो कुछ मेरा

वो तेरा है |



मुझ को बस

वरदान यही दे

कभी थकू ना

दान यही दे |

तुझ को पता ज़रूरत मेरी

जो भी दे तू

इच्छा तेरी |



अपने चरणों की भक्ति दे

जीने की इच्छा शक्ति दे,

काम ग़लत कोई मुझ से ना हो

इतना बस वरदान मुझे दे,

निज भक्ति का

दान मुझे दे |



राजीव जायसवाल

१०/०९/२०१०

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें