शुक्रवार, 12 अगस्त 2011

हम यहाँ क्या कर रहे हैं ?


है सभी कुछ पूर्व निश्चित

तो हम यहाँ

क्या कर रहे हैं ?

कर्मों का परिणाम

मिलना है,

नहीं मिलना

ये सभी कुछ

पूर्व कर्मों पर है आधारित,

तो हम यहाँ

क्या कर रहे हैं ?



स्वास्थ्य का

व्यापार का

बनना , बिगड़ना

मित्रों से व्यवहार का

बनना, बिगड़ना

घर से या परिवार से

मिलना, बिछड़ना

है सभी कुछ पूर्व निश्चित

तो हम यहाँ

क्या कर रहे हैं ?



कल में क्या होगा

किस पल में

क्या होगा,

हर घड़ी, हर पल

रहता हमारा

मन विकल,

ठीक बीतेगा

हमारा कल

या नहीं

अनिश्चितता की

लटकती सर पे सदा तलवार

तो हम यहाँ

क्या कर रहे हैं ?



कर्म होगा

या ना होगा

फल मिलेगा

ना मिलेगा

कर्म होना भी

नहीं निश्चित

फल का मिलना भी

नहीं निश्चित

है सभी कुछ

गर विधि के हाथ

तो हम यहाँ

क्या कर रहे हैं ?



राजीव जायसवाल

this poem is presented below in roman script-------

HAI SABHI KUCH PURVA NISCHIT

TO HUM YAHAN

KYA KAR RAHE HAIN

KARMON KA PARINAM

MILNA HAI

NAHIN MILNA

YE SABHI KUCH

PURVA KARMO PAR

HAI ADHARIT

TO HUM YAHAN

KYA KAR RAHE HAIN.



SWASTHYA KA

VYAPAR KA

BAN NA YA BIGDNA.

MITRON SE VYAVHAR KA

BAN NA , BIGDNA

GHAR SE YA PARIVAR SE

MILNA , BICHADNA

HAI SABHI KUCH PURVA NISCHIT

TO HUM YAHAN

KYA KAR RAHE HAIN.





KAL MEIN KYA HOGA

KIS PAL MEIN KYA HOGA

HAR GHADI

HAR PAL

RAHTA HAMARA MAAN VIKAL

THEEK BEETEGA

HAMAR KAL

YA NAHIN

ANISCHIT TA KI

LATAKTI SIR PAR SADA TALWAR

TO HUM YAHAN

KYA KAR RAHE HAIN.





KARM HOGA

YA NA HOGA

FAL MILEGA NA MILEGA

KARM KARNA BHI

NAHIN NISCHIT

FAL KA PANA BHI

ANISCHIT HAI

HAI SABHI KUCH GAR

VIDHI KE HATH

TO HUM YAHAN

KYA KAR RAHE HAIN







RAJIV JAYASWAL


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