रविवार, 7 अगस्त 2011

मात पिता को मत बिसराना |


आज तो

हम सब साथ हैं

मैं हूँ, तुम हो

बच्चे हैं |

प्यार है, प्रीत है

जीवन् का

मधुर गीत है |

कल जब

बच्चे अपने घर चले जाएँगे

अकेले हम रह जाएँगे |



आज तो

बच्चे हमारे साथ हैं

लड़ते हैं, झगड़ते हैं

प्यार से लिपटते हैं |

लेकिन अब बच्चे

बड़े हो रहे हैं,

अपनी अपनी

दुनिया में खो रहे हैं,

कल जब

हमसे ये दूर चले जाएँगे

याद बहुत आएँगे |



बहुत से लोग हैं

बच्चे जिन के दूर हैं.

मिलने से मजबूर हैं,

फोन पर बतियाते हैं,

अपने दुख दर्द छिपाते हैं,

सब कुछ भला ही बताते हैं,

रात भर ना सोते हैं

अकेले में रोते हैं|







आज तो हम युवा हैं

शरीर मैं ताक़त है

किसी पर निर्भर नहीं

सब , खुद करने की आदत है,

लेकिन बुढ़ापा भी आएगा

ये शरीर जर्जर हो जाएगा,

तब ये बच्चे ही

हमारे हाथ की लाठी होते,

हमारे साथ रहते

हम चैन से सोते,

लेकिन एक दिन

ये हमारे जिगर के टुकड़े,

हम से दूर जाएँगे

हम अकेले

कैसे रह पाएँगे ?



कल उन का भी घर होगा

परिवार होगा,

अपनी ही दुनिया होगी

प्यारा सा संसार होगा,

बहुत व्यस्त हो जाएँगे,

चाह कर भी

मिल नहीं पाएँ,

उन की दुनिया

सूरज की रोशनी

से रोशन रहे,

हमारा प्यार, आशीर्वाद

हर पल उन के साथ होगा |



मेरी यह रचना समर्पित है , उन सभी माता पिता के लिए , जो अपने बच्चों की छोटी छोटी खुशियों के लिए, उन की पढ़ाई लिखाई के लिए, कॅरियर बनाने के लिए अपना जीवन लगा देते हैं |

मेरी यह रचना उन सब बच्चो के लिए भी है, जो अपनी दुनिया मैं इतना खो जाते हैं , की अपने बूढ़े माता पिता को भूल जाते हैं |



राजीव जायसवाल

२९/०९/2010





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