रविवार, 7 अगस्त 2011

मैं मौन रह कर गीत गाता हूँ |

वाचालता कहती है

मैं सब जानती हूँ

वो कौन है

उस का पता

मैं जानती हूँ

एक स्वर्ग है, एक नर्क है

कुछ देव हैं, कुछ दैत्य हैं

मौन कहता है

मन में झाँक लो

उस की छवि को

अंतर नयन से माप लो



जितने हैं मूह

उतने फसाने हैं

सब की ज़बान पर

उस के फसाने हैं

वो कौन है

किस जगह पर है

कैसा नज़र आता

क्या पीता, ख़ाता है

क्या है अकेला

या है किसी के साथ

क्या बोलता है कुछ

या करता, नयन से बात

काला है, गोरा या की भूरा है ?



सब उस को खुश

करने के चक्कर में

पूजा,व्रत-उपवास

करते हैं

नाराज़ ना हो जाए

डरते हैं

जप,दान ,तीरथ

स्नान करते हैं

किस विधि खुश हो जाए

उस का ध्यान करते हैं |



या मैं हूँ पागल

लोग या पागल

उस अजनबी को

देखा ना भाला

भगवान उस को नाम दे डाला

चुपचाप उस से बात करता हूँ

मैं मौन रह कर

गीत गाता हूँ

अपने प्रिय को

घर बुलाता हूँ |



राजीव जायसवाल



१५/१०/२०१०

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