शुक्रवार, 12 अगस्त 2011

जो सोचा था-सब मिला |


कभी सोचता था

वो होगी कौन

जो मेरे घर आएगी |



कभी सोचता था

छूउँगा उसे

वो कैसे शर्माएगी |



कभी सोचता था

की दो से चार

कभी हम हो जाएँगे |



कभी सोचता था

ना होगा क्लेश

हम इतना प्यार करेंगे |



जो सोचा था

सब मिला

तुम मेरी प्राण प्रिया हो |



जो सोचा था

सब मिला

तुम्हें जब छुआ

जैसा सोचा था

वैसा ही हुआ |



जो सोचा था

सब मिला

दो से हम तीन

तीन से चार हुए हैं |



जो सोचा था

सब मिला

नहीं कोई क्लेश

ना ही संदेह

है सिर्फ़ नेह

है सिर्फ़ स्नेह |



मेरी चिर संगिनी

तुम ही मेरी प्रीत

तुम ही मेरी मीत

मेरे जीवन् का

तुम ही संगीत |



राजीव जायसवाल



मेरी यह रचना मेरी सह धार्मिनी वंदना जायसवाल को समर्पित है, जिन की प्रेरणा ओर सहयोग से मैं जीवन में वो सब कर पा रहा हूँ, जो मैं करना चाहता था |

THIS POEM IS PRESENTED BELOW IN ROMAN SCRIPT---

KABHI SOCHTA THA

VO HOGI KAUN

JO MERE GHAR AEGI.



KABHI SOCHTA THA

CHU UNGA USEY

VO KAISE SHARMAEGI.



KABHI SOCHTA THA

KI DO SE CHAR

KABHI HUM HO JAENGE.



KABHI SOCHTA THA

NA HOGA KLESH

HUM ITNA PYAR KARENGE.



JO SOCHA

SAB MILA

TUMHI MERI PRAN PRIYA HO.





JO SOCHA

SAB MILA

DO SE HUM TEEN

TEEN SE CHAR HUE HAIN .



JO SOCHA

SAB MILA

NA HI KOI KLESH

NA HI SANDEH

HAI SIRF NEH

HAI SIRF SNEH.



MERI CHIR SANGINI

TUMHI MERI PRIT

TUM HI MERI MEET

MERE JIWAN KA

TUM HI SANGEET.



RAJIV JAYASWAL



THIS POEM IS DEDICATED TO MY DEAR WIFE VANDANA JAYASWAL, WHO IS MY MOTIVATION AND INSPIRATION.






























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