मंगलवार, 26 जुलाई 2011

रात भर जागने से कभी जागरण नहीं होता


रात भर जागने से

कभी जागरण नहीं होता

चीख कर भजने से

कभी जागरण नहीं होता

जागरण का अर्थ

जीवन समर में जागना है

जागरण का अर्थ

मन के भंवर में जागना है |



कहता है वो मिल अकेले में

ढूड्ता उस को तू मेले में

रात भर वो तकता तेरी बाट

तू जमाने को दिखाता ठाठ |



रात भर जागो ना जागो

भोर का उजियारा मन भर लो

ज्ञान का प्रसाद पाने को

अपनी झोली साफ तो कर लो |



जगराता मन का करो

प्रेम जीवन में भरो,

दीप, सूरज का है

नभ की थाली में,

आरती मन में करो

हर पहर जगराता करो |



राजीव जायसवाल

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