जब हम ना थे
तुम ना थे
दादे - परदादे थे,
उन के भी
सुख दुख थे,
राग थे, विराग थे,
सुख और संताप थे,
घर और परिवार थे,
सपनों के संसार थे,
जब हम ना थे
तुम ना थे |
रेल ना थे
यान ना थे,
सुख के सामान
ना थे,
आज से आराम ना थे,
वे कैसे जीते थे,
जब हम ना थे
तुम ना थे |
हवा में
जब जहर ना था,
प्रदूषण का
कहर ना था,
तारे साफ दिखते थे,
पानी
ना बोतल में बिकते थे,
हर तरफ
हरियाली थी,
सड़क ना थी
कार ना थी,
आज के जीवन सी
मारामार ना थी,
क्या जीवन में उन के
खुशहाली थी
जब हम ना थे
तुम ना थे |
खेत या खलिहान में,
या किसी दुकान में,
या किसी व्यापार में,
राजा के दरबार में ,
रोज वे जाते होंगे,
पैसे कमाते होंगे ,
ज़मीन या मकान में,
या किसी कारोबार में,
पैसे लगाते होंगे,
कभी कमाते होंगे,
कभी गँवाते होंगे,
जैसे हम रोते हैं,
जैसे हम हंसते हैं,
वैसे वे हंसते होंगे,
वैसे वे रोते होंगे |
जब हम ना थे
तुम ना थे |
जीवन का चक्र
यूँ ही
कब से चलता आया है,
यूँ ही
चले जाएगा,
एक दिवस
ऐसा भी आएगा,
जब हज़ारों साल बाद
यही गीत कोई गाएगा,
सिर्फ़
पात्र बदल जाएँगे,
आज वर्तमान हम हैं,
कल पूर्वज कहलाएंगे |
राजीव जायसवाल
०२/०४/२०११
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