मेरे मन
एक बच्चा रहता है
बच्चे में
एक सच्चा रहता है |
कभी जगता है
कभी है सोता
कभी है हंसता
कभी है रोता
मुझ में एक
अनोखा रहता है |
ये बच्चा
अभी तक
बचा है कैसे
बड़ा मैं हुआ
ये रहा
वैसे के वैसे
ना कोई पाप
झूठ ना कोई
क्रोध , अभिमान
काम, ना कोई
बचा ये कैसे
हैरानी होई |
मुझ को समझाए
सदा सच कहो
प्यार से रहो
जैसे आए थे
वैसे ही रहो
पाप नादिया में
कभी मत बहो |
अपने बचपन को
अपनी दौलत को
पाप कालिख से
बचा के रखना
सज़ा के रखना |
राजीव जायसवाल
०१/०७/२०११
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