ना जनेऊ
ना केश
ना तिलक
ना भेष
ना टोपी
ना पग्ग
ना भस्म
ना राख |
ना मंदिर
ना ज्योत
ना पूजा
ना अज़ान
ना गीता
ना क़ुरान |
ना चिमटा
ना ढोल
ना कीर्तन
ना शोर
ना पंडित
ना पठान
ना हिंदू
ना मुसलमान |
ना पंथ
ना ग्रंथ
ना साधु
ना संत
ना पीर
ना मज़ार
ना मक्का
ना हरिद्वार
ना रोज़ा
ना उपवास |
ना संयम
ना सहवास
ना तीरथ
ना दान
ना गंगा स्नान |
सब जी का जंजाल
सब माया का जाल
मैं मानूं ना कोई
जो होना सो होई |
राजीव जायसवाल
२४/०६/२०११
एक पुरातन भारतीय मान्यता -नेति नेति के अनुसार सच कुछ भी नहीं है, सब मायाजाल है, सब जग रचना झूठ है |
निशब्द...
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