रविवार, 17 जुलाई 2011

क्या किया दिन भर |


क्या किया दिन भर

बताओ क्या किया,

ऑफिस गये,

कुछ पेज

काले कर दिए,

कुछ नोट

फाइल पर दिए,

कुछ को ठगा,

कुछ से ठगे,

और

घर को वापिस आ गये,

क्या किया दिन भर

बताओ क्या किया |



क्या किया दिन भर

बताओ क्या किया,

सुबह सवेरे

उठ गये,

फिर एक प्याला चाय पी,

योगा किया,

पूजा करी,

अरदास की,

अख़बार की खबरें पढ़ीं,

घर वालों से

चख चख करी,

कुछ दोस्तों से बात की,

क्या किया दिन भर

बताओ क्या किया |



क्या किया दिन भर

बताओ क्या किया,

सुबह उठे

देखी घड़ी

उठने में देरी हो गयी

हर काम में फिर हड़बड़ी

बच्चों को भेजा स्कूल को

पति देव ऑफिस को चले

ना कामवाली आई है,

आराम की ना एक घड़ी,

क्या किया दिन भर

बताओ क्या किया |



क्या किया दिन भर

बताओ क्या किया

क्या दिन यूँही कट जाएँगे

जो काम नित

हम कर रहे

ऐसे ही करते जाएँगे

एक रोज

हम मर जाएँगे

कुछ नया ना कर पाएँगे |

क्या किया दिन भर

बताओ क्या किया |



राजीव जायसवाल

१०/०३.२०११

होती सुबह, शाम आती है

जाती शाम, सुबह आती है,

मेरे मन की पीड़ा भी बस

साथ साथ बढ़ती जाती है |



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