आ रहे है, जा रहे हैं
खा रहे हैं, पी रहे हैं
मर रहे हैं,जी रहे हैं
उठ रहे हैं, गिर रहे हैं
मैं भी, इन में एक हूँ |
घर को भागे जा रहे हैं
गाड़ियाँ चला रहे हैं
बस में लदे जा रहे हैं
पसीने से तरबतर हैं
फिर भी मुस्कुरा रहे हैं
मैं भी इन में एक हूँ |
मंदिरों में जा रहे हैं
घंटियाँ बजा रहे हैं
मोदकों का भोग लगा
प्रभु को रिझा रहे हैं
मैं भी इन में एक हूँ |
दुख में याद कर रहे हैं
सुख में भूले जा रहे हैं
भोग में विलास में
जिंदगी गँवा रहे हैं
जिंदगी का अर्थ
बिना जाने जिए जा रहे हैं
मैं भी इन में एक हूँ |
राजीव जायसवाल
६/०५/२०११
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें