मंगलवार, 26 जुलाई 2011

अपना बचपन मत बिसराना |



मेरे बच्चे

तुम मेरी उंगली पकड़

चलते थे, गिरते थे

लड़खड़ाते थे

संभलते थे |



मेरी

तुम गोद में आकर

मचलते थे, लड़ाते थे

तोतली बोली में

तुम मुझे

गिनती सुनाते थे |



मैं

तुम्हें देता खिलौने

घोड़ा, मोटर और हाथी

पर तुम मेरे खिलौने थे |

पीठ पर मेरी

तुम बैठकर

मुझे घोड़ा बनाते थे.

मैं समझता

खिलाता मैं तुम्हें हूँ,

अब समझ आया

की तुम मुझ को खिलाते थे |



होते तुम बीमार

हम सारी रात जगते,

तुम्हारा चेहरा तकते

दुआ मलिक से ये करते

हम को कर दे तू बीमार

तुम को ठीक कर दे |



अब

बड़े तुम हो गए हो

अपनी दुनिया

खो गए हो

तुम को जब

मैं देखता हूँ

मुझे लगता है

तुम वही हो

मगर

अब गोद मेरी छोटी है

और

तुम बड़े हो |



राजीव जायसवाल

मेरी यह रचना मेरे बेटों व्योम और विभोर को समर्पित है |

मेरी यह कविता उन सब माता पिता को समर्पित है, जिन की गोद छोटी हो गई है और बच्चे बड़े हो गए हैं |

THIS POEM IS PRESENTED BELOW IN ROMAN VERSION----------



MERE BACHHE

TUM MERI

UNGLI PAKAD

CHALTE THE, GIRTE THE

LADKHADATE THE

SAMBHALTE THE .



MERI

TUM GODE MEIN AKAR

MACHALTE THE, LADATE THE

TOTLI BOLI MEIN

TUM MUJHE

GINTI SUNATE THE.



MAIN

TUMHEIN DETA KHILONE

GHODA. MOTOR AUR HATHI

PAR TUM MERE KHILONE THE

PITH PAR MERI

TUM BAITH KAR

MUJHE GHODA BANATE THE

MAIN SAMAJHTA THA

KHILATA MAIN HUN TUM KO

AB SAMAJH AYA

KI TUM MUJH KO KHILATE THE.



HOTE TUM BIMAR

HUM SARI RAAT JAGTE

TUMHARA CHEHRA TAKTE

DUA MALIK SE YE KARTE

HUM KO KAR DE TU BIMAR

TUM KO THEEK KAR DE.



AB

BADE TUM HO GAE HO

APNI DUNIYA

KHO GAE HO

TUM KO JAB DEKHTA HUN

MUJHE LAGTE HO

VAHI TUM

PAR GODE MERI

CHOTI HO GAYI HAI

AUR BADE TUM HO GAYE HO.



RAJIV JAYASWAL

11.11.2010

THIS POEM IS DEDICATED TO MY LOVING CHILDREN VYOM AND VIBHORE.

THIS POEM IS DEDICATED TO ALL PARENTS.

THIS POEM IS DEDICATED TO ALL CHILDREN.



















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