मेरे बच्चे
तुम मेरी उंगली पकड़
चलते थे, गिरते थे
लड़खड़ाते थे
संभलते थे |
मेरी
तुम गोद में आकर
मचलते थे, लड़ाते थे
तोतली बोली में
तुम मुझे
गिनती सुनाते थे |
मैं
तुम्हें देता खिलौने
घोड़ा, मोटर और हाथी
पर तुम मेरे खिलौने थे |
पीठ पर मेरी
तुम बैठकर
मुझे घोड़ा बनाते थे.
मैं समझता
खिलाता मैं तुम्हें हूँ,
अब समझ आया
की तुम मुझ को खिलाते थे |
होते तुम बीमार
हम सारी रात जगते,
तुम्हारा चेहरा तकते
दुआ मलिक से ये करते
हम को कर दे तू बीमार
तुम को ठीक कर दे |
अब
बड़े तुम हो गए हो
अपनी दुनिया
खो गए हो
तुम को जब
मैं देखता हूँ
मुझे लगता है
तुम वही हो
मगर
अब गोद मेरी छोटी है
और
तुम बड़े हो |
राजीव जायसवाल
मेरी यह रचना मेरे बेटों व्योम और विभोर को समर्पित है |
मेरी यह कविता उन सब माता पिता को समर्पित है, जिन की गोद छोटी हो गई है और बच्चे बड़े हो गए हैं |
THIS POEM IS PRESENTED BELOW IN ROMAN VERSION----------
MERE BACHHE
TUM MERI
UNGLI PAKAD
CHALTE THE, GIRTE THE
LADKHADATE THE
SAMBHALTE THE .
MERI
TUM GODE MEIN AKAR
MACHALTE THE, LADATE THE
TOTLI BOLI MEIN
TUM MUJHE
GINTI SUNATE THE.
MAIN
TUMHEIN DETA KHILONE
GHODA. MOTOR AUR HATHI
PAR TUM MERE KHILONE THE
PITH PAR MERI
TUM BAITH KAR
MUJHE GHODA BANATE THE
MAIN SAMAJHTA THA
KHILATA MAIN HUN TUM KO
AB SAMAJH AYA
KI TUM MUJH KO KHILATE THE.
HOTE TUM BIMAR
HUM SARI RAAT JAGTE
TUMHARA CHEHRA TAKTE
DUA MALIK SE YE KARTE
HUM KO KAR DE TU BIMAR
TUM KO THEEK KAR DE.
AB
BADE TUM HO GAE HO
APNI DUNIYA
KHO GAE HO
TUM KO JAB DEKHTA HUN
MUJHE LAGTE HO
VAHI TUM
PAR GODE MERI
CHOTI HO GAYI HAI
AUR BADE TUM HO GAYE HO.
RAJIV JAYASWAL
11.11.2010
THIS POEM IS DEDICATED TO MY LOVING CHILDREN VYOM AND VIBHORE.
THIS POEM IS DEDICATED TO ALL PARENTS.
THIS POEM IS DEDICATED TO ALL CHILDREN.
दिल मे गहरे उतर गयी आपकी रचना…………बहुत सुन्दर्।
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