उस में भी तू नज़र आता है
मुझ में भी तू नज़र आता है
मुझ में मैं देखता उस को
और उस में मैं दिखाई देता है
|
खुद में खुदा को देख लेता हूँ
खुदा , खुद में दिखाई देता है
या खुदा, बंदगी करूँ किस की
हर जगह तू दिखाई देता है |
खुद में उस की बंदगी करने लगा
या खुदा, मैं बुत परस्ती करने लगा
नमाजे चार की पाबंदगी को छोड़ कर
हर घड़ी आवारगी करने लगा |
मौलवी की मज़हबी को भूल कर
मैं किशन की बाँसुरी सुनने लगा
पंडितों की आरती को भूल कर
खुद के अंदर आरती सुनने लगा |
राजीव जायसवाल
२०/०७/२०१०
मुल्ला, शराब पीने दे, मस्जिद में बैठ कर, या वो जगह बता दे जहाँ पर खुदा ना हो |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें