मैं अगर
मैं ना होता
तुम होता,
तो क्या होता
मेरे सुख दुख और होते ,
तेरे सुख दुख और होते ,
मेरा घर होता तुम्हारा
और तुम्हारा होता मेरा |
तुम्हारे दर्द सारे
मेरे होते ,
और तुम्हारे
होते मेरे ,
सुख तुम्हारे भोगता मैं
मेरे तुम भोगते ,
माता, पिता, पत्नी, पति
सब बदल जाते ,
मैं अगर मैं ना होता
तुम अगर तुम ना होते |
किसलिए मैं
तुम नहीं हूँ ,
किसलिए तुम
मैं नहीं हो ,
मुझ में, तुम में
भेद क्यों है ,
मेरे सुख दुख
मेरे क्यों हैं ,
तेरे सुख दुख
तेरे क्यों हैं ,
क्या सिर्फ़ संजोग है ये
कौन करता फ़ैसला ये |
गर्मी में रिक्शा चलाता
पसीने से तरबतर हो ,
पेड़ तले सो जाता ,
तुम सोते मेरे घर
आराम से ,
तुम अगर मैं होते
मैं अगर तुम होता |
हाथ मेरे फैले होते
माँगने को ,
कोई देता
कोई दुतकार देता ,
होता मैं याचक
तुम होते देने वाले ,
किसलिए मैं देने वाला हूँ
माँगते भीख तुम
कौन करता फ़ैसला ये |
कौन क्या होगा
कैसा होगा ,
किस के घर में
पैदा होगा ,
क्या करेगा
सुख सहेगा ,
दुख सहेगा
कब मरेगा ,
कितने दिन जिंदा रहेगा
कौन है वो
फ़ैसला करता है जो |
राजीव जायसवाल
२७/०५/२०११
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