गुरुवार, 14 जुलाई 2011

मैं अगर तुम होता, |


मैं अगर

मैं ना होता

तुम होता,

तो क्या होता

मेरे सुख दुख और होते ,

तेरे सुख दुख और होते ,

मेरा घर होता तुम्हारा

और तुम्हारा होता मेरा |



तुम्हारे दर्द सारे

मेरे होते ,

और तुम्हारे

होते मेरे ,

सुख तुम्हारे भोगता मैं

मेरे तुम भोगते ,

माता, पिता, पत्नी, पति

सब बदल जाते ,

मैं अगर मैं ना होता

तुम अगर तुम ना होते |



किसलिए मैं

तुम नहीं हूँ ,

किसलिए तुम

मैं नहीं हो ,

मुझ में, तुम में

भेद क्यों है ,

मेरे सुख दुख

मेरे क्यों हैं ,

तेरे सुख दुख

तेरे क्यों हैं ,

क्या सिर्फ़ संजोग है ये

कौन करता फ़ैसला ये |



गर्मी में रिक्शा चलाता

पसीने से तरबतर हो ,

पेड़ तले सो जाता ,

तुम सोते मेरे घर

आराम से ,

तुम अगर मैं होते

मैं अगर तुम होता |



हाथ मेरे फैले होते

माँगने को ,

कोई देता

कोई दुतकार देता ,

होता मैं याचक

तुम होते देने वाले ,

किसलिए मैं देने वाला हूँ

माँगते भीख तुम

कौन करता फ़ैसला ये |



कौन क्या होगा

कैसा होगा ,

किस के घर में

पैदा होगा ,

क्या करेगा

सुख सहेगा ,

दुख सहेगा

कब मरेगा ,

कितने दिन जिंदा रहेगा

कौन है वो

फ़ैसला करता है जो |

राजीव जायसवाल

२७/०५/२०११

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