शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

मैं हूँ ही नहीं |


मैं हूँ ही नहीं

तुम ही हो

मैं बूँद जल की

तुम हो सागर

तुम में मिल

मैं गया खो

मैं हूँ ही नहीं

तुम ही हो |



तुम ही मन हो

आत्मा हो

तुम ही नयन हो

भावना हो

तुम ही हृदय हो

कामना हो

शोक हो तुम

खुशी भी हो

मैं हूँ ही नहीं

तुम ही हो |



चेतना तुम

कामना तुम

तुम प्रणय हो

वासना हो

बीज जीवन का

गर्भ में हो

प्रसव की पीड़ा हो तुम

शिशु की क्रीड़ा

तुम्हीं हो

मैं हूँ ही नहीं

तुम ही हो |



प्रार्थना हो

अर्चना हो

भोर की तुम

लालिमा हो

रात्रि की तुम

कालीमा हो

तुम ग्रीषम हो

तुम ही शरद हो

मेघ की तुम

गर्जना हो

वृष्टि की तुम

बरसना हो

नींद तुम हो

तुम जागना हो

मैं हूँ ही नहीं

तुम ही हो |



धर्म तुम हो

पाप तुम ही हो,

तुम रुदन हो

उपहास तुम ही हो,

मौन हो

आलाप तुम ही हो,

बोलता जो मौन में

अनहद नाद ,

तुम ही हो

रुदन तुम,

अट्टहास तुम ही हो

मैं हूँ ही नहीं

तुम ही हो |



राजीव जायसवाल

१२/०५/२०११















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