
तुम जा रही हो
जाओ
अब ना आना
जितने दिन का साथ था
उतना निभाया
अब जो मिले
उस से निभाना
मुझ को भुलाना |
प्रीत तुम ने की
नहीं की
क्या पता
मैने तो की थी
दिल दिया उस को
जिस को पता क्या
प्रीत का
वफ़ा की रीत का
मन के संगीत का |
पास तुम थी
दूर खुद से हो गया था
जाओगी तुम दूर
अपने पास आउँगा
मैं अपने खुद को पाउँगा |
राजीव जायसवाल
27/06/2011
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें