
जिस दिन मैं जाउँगा
उस दिन सूरज निकलेगा क्या
उस दिन भी फूल खिलेंगे क्या
उस दिन बदरा छाएँगे क्या
उस दिन पंछी गाएँगे क्या |
सब कुछ होगा उस दिन भी
ना देख सकूँगा मैं कुछ भी
मैं आँख मूंद सो जाउँगा
चिर निद्रा में सो जाउँगा
फिर जाग कभी ना पाउँगा |
मुझ से मिलने आएँगे सब
उन को ना देख सकूँगा तब
मुझ को तय्यार करेंगे सब
मैं अंतिम बार सजुंगा जब
शिंगार खुद ना कर पाउँगा
जब अंतिम यात्रा जाउँगा |
सब राम राम कह गाएँगे
कांधे पर मुझे उठाएँगे
मेरी तारीफ करेंगे सब
मुझ को सब याद करेंगे तब
मुझ को जब विदा करेंगे सब |
नश्वर शरीर जलाएँगे
घी, धूप, कपूर लगाएँगे
मैं पॅंचतत्व में जाउँगा
इस रूप कभी ना आउँगा
मेरी कविताएँ पढ़ना सब
ना भूल मुझे तुम जाना सब |
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चौथा करो या तेरहवी करना
वेद मंत्र, गीता ना पढ़ना
बस मेरी कविता गायन करना
ना ही मेरा तर्पण करना
बस कविता मुझ को अर्पण करना |
राजीव जायसवाल
१४/०७/२०११
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