सोमवार, 18 जुलाई 2011

मैं मिलूँगा एक दिन तुम को |


मैं मिलूँगा

एक दिन तुम को

मुझे फिर जाने मत देना

छिपा लेना कहीं पर

अपनी ज़ुल्फो में

या होठों में

या कहीं भी

जहाँ पर

मैं भी खुद को

ढूँढ ना पाउँ

कभी फिर

दूर तुम से

जा ना पाउँ |



वफ़ा मुझ में

ज़रा कम है

अपना भरोसा

मुझे कम है

अभी तो

मैं तुम्हारा हूँ

कल किसी का

हो ना जाउँ

मैं कहीं पर

खो ना जाउँ

मुझ को छुपा लो

तुम

कहीं भी

जहाँ पर

खुद से भी

मैं मिल ना पाउँ

तुम्हारा

बस तुम्हारा

ही रहूं

तुम में ही

खो जाउँ

तुम्हारे साथ जागूं

तुम्हारे साथ सो जाउँ |



राजीव जायसवाल

१८/०७/२०११

























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