शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

आँख भर के |


आँख भर के

देख लें किस को

दूर है वो

था देखना जिसको |



आँख भर के

देख लो हम को

क्या पता

खो जाएँ

हम कल को |



आँख भर के

आँख में भर लो

कितने दिन

हम रहें

बिन घर के |



आँख भर के

ना हमें देखो

आँख भर आएगी

अपनी भी

जा ना पाएँगे

फिर कभी घर को |



आँख भर के

नीर बहने दो

सब हृदय की

पीर बहने दो |



आँख भर के

तुम को देखेंगे

आज जी भर

आँख सेकेंगे

कल कहाँ तुम हो

कहाँ हम हों

आज तुम हम को

हम तुम को देखेंगे |



राजीव जायसवाल

२४/०४/२०११

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