गुरुवार, 21 जुलाई 2011

वो जगह बता दे जहाँ पर खुदा ना हो |


उस में भी तू नज़र आता है

मुझ में भी तू नज़र आता है

मुझ में मैं देखता उस को

और उस में मैं दिखाई देता है

|

खुद में खुदा को देख लेता हूँ

खुदा , खुद में दिखाई देता है

या खुदा, बंदगी करूँ किस की

हर जगह तू दिखाई देता है |



खुद में उस की बंदगी करने लगा

या खुदा, मैं बुत परस्ती करने लगा

नमाजे चार की पाबंदगी को छोड़ कर

हर घड़ी आवारगी करने लगा |



मौलवी की मज़हबी को भूल कर

मैं किशन की बाँसुरी सुनने लगा

पंडितों की आरती को भूल कर

खुद के अंदर आरती सुनने लगा |

राजीव जायसवाल

२०/०७/२०१०

मुल्ला, शराब पीने दे, मस्जिद में बैठ कर, या वो जगह बता दे जहाँ पर खुदा ना हो |



















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