Rajiv Jayaswal
सोमवार, 11 जुलाई 2011
अब जाओ भी |
अब जाओ भी
ना जाती हो
ना जीने देती हो
ना दूर नज़र से होती हो
ना मदिरा प्रणय की
पीने देती हो |
कुछ दिन
मुझ से दूर रहोगी
तो समझोगी
मेरे प्यार की घनी छाँव
जब नहीं मिलेगी
तब समझोगी
जब कामुक नज़रों की
गर्म दोपहरी से गुज़रोगी
तब समझोगी |
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