जब चाहा ,
बात करी
जब चाहा , मौन बनीं
जब चाहा ,गले लगीं
जब चाहा ,दूर गयीं |
जब चाहा , साथ जगीं
जब चाहा , मिली नहीं
जब चाहा , प्रीत करी
जब चाहा , रूठ गयीं |
जब चाहा , पाती लिखी
जब चाहा , पाती लिखी
जब चाहा , बनीं सखी
जब चाहा , दूरी रखी
जब चाहा , गैर बनीं |
कैसा ये प्यार कहो
कैसा इकरार कहो
क्यों ये तकरार कहों
क्यों ये इज़हार कहो |
राजीव
०२/०९/२०१२
राजीव
०२/०९/२०१२
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