गुरुवार, 13 सितंबर 2012

हर मानव है प्रभु का रूप ||


इस से मिल लूँ
उस से मिल लूँ |
न जाने किस किस से ,
मिल लूँ |
लोग लाख हैं ,
लोग करोड़  |
किस से मिलूं
किसे दूँ छोड़ |

मानव जन्म 
क्षणिक सा पाया |
कोटि पुण्य
धरा पर आया  |
हरेक रूप
निज नयन में ,
भर लूँ |
छाँव धूप
निज अंतर 
भर लूँ |

जिसे तकूँ
वह मनुज अनुप  |
हर मानव है
प्रभु का रूप |
आलिंगन 
जन जन का कर लूँ |
गठ बंधन 
मन मन का कर लूँ |

राजीव
१३/०९/२०१२



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