रविवार, 2 सितंबर 2012

हर पल को जी ले रे |



आ रे , जा रे 
पी रे , खा रे 
मौज मना ले   रे 
खुद को भुला दे रे
प्रियतम की बाँहों में 
दो पल बिता ले रे 

दो दिन का   जीवन रे
हर पल  को   जी ले रे | |

गरवा लगा ले रे 
नैना लड़ा ले रे 
दिल दे रे 
दिल ले रे 
मनवा मिला ले रे 
दो दिन का जीवन रे 
हर पल को जी ले रे | |

बाँहों में ले ले रे 
सांसों में भर ले रे
होठों को तर कर रे
जो करना कर ले रे
मर जिस पे मरना रे
दो दिन का जीवन रे
हर पल को जी ले रे |

प्रियतम को पा ले रे
सेजवा  सजा ले रे
गोरिया के नयनों से 
कजरा चुरा ले रे
अधरों को अधरों पे
कुछ पल सजा ले रे
दो दिन का जीवन रे
हर पल को जी ले रे  |

राजीव
०१/०९/२०१२


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