कल
रात
मेघ
भी थे ,
पवन
भी थी ,
चाँद
भी था ,
चमकते
सारे सितारे भी
गगन
में थे ,
तुम नहीं
बस
तुम नहीं थीं ,
ढूंढ़
ता तुम को रहा
मैं
रात भर |
मुझ
को पता क्या था ,
छुपी
थी तुम
मेरे
भीतर
,
मेरे
अहसास में ,
मेरी
हर श्वास में ,
मेरे
हर रुदन में ,
मेरे
अट्टहास में ,
ह्रदय
में मेरे ,
छुपी
थी तुम ,
मुझ
को पता क्या था
मुझी
में
छुप रहीं थी तुम |
राजीव
राजीव
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