रविवार, 5 अगस्त 2012

ना वो लम्हे रहे |


तूने
लम्हों को मेरे
इस कदर तराशा था
हरेक लम्हा  मेरा
जैसे बुत
खुदा का था |

ना
वो लम्हे रहे ,
मैं भी
बुत परस्त नहीं ,
तू भी
अब तू ना रही
जाने क्या बात हुई
अब
वैसी बात नहीं |
राजीव 



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