क्या भूलूं
क्या याद करूँ
कितनी बातें
कुछ खट्टी
कुछ मीठी यादें
कुछ भूली
कुछ बिसरी यादें
बचपन से तरुणाई की |
कहाँ गई
प्यारी सी दादी
जिस के आंचल में
मूं ह ढक
सोता था
कितनी बात किया करती थी ,
रात अँधेरा होता था |
मां से डांट
मुझे जब पड़ती ,
साथ मेरा दिया करती थी
मैं मन मन खुश होता था |
कहाँ गई
मेहँदी की बगिया
कहाँ गया
बेरी का पेड़
मेरे उपवन के
सब पौधे
जाने किस दिन
हो गए ढेर |
सुबह
अंगीठी
शाम
अंगीठी
गरम
गरम रोटी की गंध ,
होली पर
रंगों
की बारिश
ढोलक
पर गीतों के छ न्द |
कोई
मेरा
बचपन लौटा दे
फिर
दादी
की झलक दिखा दे ,
बगिया
के
पौधे
लौटा दे ,
रंगों
की
बारिश
करवा दे |
राजीव
२७/०५/ २०१२
मैं
अपना बचपन नहीं भूल पता , क्या आप भुला पाए हैं |
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