रविवार, 5 अगस्त 2012

मैं अपना बचपन नहीं भूल पता , क्या आप भुला पाए हैं


क्या भूलूं 
क्या याद करूँ
कितनी बातें
कुछ खट्टी
कुछ मीठी यादें
कुछ भूली
कुछ बिसरी यादें
बचपन  से तरुणाई की  |

कहाँ गई
प्यारी सी दादी
जिस के आंचल  में
मूं ढक 
सोता था
कितनी बात किया करती थी ,
रात अँधेरा होता था |
मां से डांट
मुझे जब पड़ती ,
साथ मेरा दिया करती थी  
मैं मन मन खुश होता था  |
कहाँ गई
मेहँदी की बगिया
कहाँ गया
बेरी का पेड़
मेरे उपवन के
सब पौधे
जाने किस दिन
हो गए ढेर  |
सुबह  अंगीठी
शाम अंगीठी
गरम गरम रोटी की गंध ,
होली पर
रंगों की बारिश
ढोलक पर गीतों के   न्द |


कोई 
मेरा बचपन लौटा दे
फिर
दादी की झलक दिखा दे ,
बगिया के
पौधे लौटा दे ,
रंगों की
बारिश करवा दे |

राजीव
२७/०५/ २०१२
मैं अपना बचपन नहीं भूल पता , क्या आप भुला पाए हैं  |





































कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें