मेरे दोनो हाथों में एक बुजुर्ग आदमी का मृत शरीर है, एक औरत अपनी चूड़ीयाँ , रोते हुए तोड़ रही है --और अचानक एक झटके के साथ मैं उठ बैठता हूँ | सारा शरीर पसीने पसीने है |सामने घड़ी पर नज़र जाती है सुबह के ठीक चार बजे होते हैं |
मैं अपनी पत्नी वंदना को जगाता हूँ और उन को अपने अजीब से सपने के बारे में बताता हूँ | ऐसा कभी नहीं हुआ था, जैसे सपना ना होकर मुझे अचानक कोई चलचित्र का दृश्य दिखा था | हम उठ कर घर की सारी बत्तियाँ जला देते हैं |मुझे किसी बुरी घटना के होने का अहसास होता है | सारे दिन मन बेचैन सा रहता है |
शाम को हमारी सोसाइटी की कार्यकारिणी की बैठक होती है | कुल ६ लोग मीटिंग में होते हैं | मेरे दाईं ओर अरोड़ा जी और दूसरी ओर शर्मा जी बैठे होते हैं | दोनों ही बुजुर्ग थे | किसी बात पर दोनों लोग एक दूसरे पर गुस्से में चिल्लाने लगते हैं और आवेश
में आ जाते हैं | हम लोग मुश्किल से उन दोनो को शांत करवाते हैं | अचानक अरोड़ा जी की तबीयत खराब होने लगती है, सब लोग घबरा जाते हैं | हम लोग मीटिंग के कमरे से बाहर आते हैं, अरोड़ा जी को मेरी कार में आगे की सीट पर बैठाया जाता है | उन की श्रीमती जी पिछली सीट पर बैठ जाती हैं और मैं अपनी कार को हस्पताल की ओर ड्राइव करता हूँ |हस्पताल वहाँ से करीब४ किलो मीटर की दूरी पर होता है | रास्ते में ही अचानक मेरे साथ बैठे अरोरा जी, जो बुरी तरहा से हाँफ रहे होते हैं , अचानक बेदम होकर मेरे परलुढ़क जाते हैं |
किसी तरह से कार को ड्राइव कर मैं हस्पताल तक पहुँचता हूँ |जब कार से उतरकर मैं अरोरा जी को कार से बाहर निकालने की कोशिश करता हूँ तो उन की देह मेरे दोनो हाथों पर झूल जाती है |डॉक्टर उन को मृत घोषित कर देता है, उन की पत्नी वहीं रोते हुए अपनी चूड़िया तोड़ने लगती है | मैं हतप्रभ रह जाता हूँ, सुबह चार बजे देखा दृश्य मेरी आँखों के आगे साकार हो उठता है |
क्या जीवन में होने वाली सब बातें पूर्व निश्चित होतीः हैं, क्या हम को आने वाली घटना का पूर्वाभास होसकता है ?
क्या इस सवाल का जवाब है आप के पास ?
मैं अपनी पत्नी वंदना को जगाता हूँ और उन को अपने अजीब से सपने के बारे में बताता हूँ | ऐसा कभी नहीं हुआ था, जैसे सपना ना होकर मुझे अचानक कोई चलचित्र का दृश्य दिखा था | हम उठ कर घर की सारी बत्तियाँ जला देते हैं |मुझे किसी बुरी घटना के होने का अहसास होता है | सारे दिन मन बेचैन सा रहता है |
शाम को हमारी सोसाइटी की कार्यकारिणी की बैठक होती है | कुल ६ लोग मीटिंग में होते हैं | मेरे दाईं ओर अरोड़ा जी और दूसरी ओर शर्मा जी बैठे होते हैं | दोनों ही बुजुर्ग थे | किसी बात पर दोनों लोग एक दूसरे पर गुस्से में चिल्लाने लगते हैं और आवेश
में आ जाते हैं | हम लोग मुश्किल से उन दोनो को शांत करवाते हैं | अचानक अरोड़ा जी की तबीयत खराब होने लगती है, सब लोग घबरा जाते हैं | हम लोग मीटिंग के कमरे से बाहर आते हैं, अरोड़ा जी को मेरी कार में आगे की सीट पर बैठाया जाता है | उन की श्रीमती जी पिछली सीट पर बैठ जाती हैं और मैं अपनी कार को हस्पताल की ओर ड्राइव करता हूँ |हस्पताल वहाँ से करीब४ किलो मीटर की दूरी पर होता है | रास्ते में ही अचानक मेरे साथ बैठे अरोरा जी, जो बुरी तरहा से हाँफ रहे होते हैं , अचानक बेदम होकर मेरे परलुढ़क जाते हैं |
किसी तरह से कार को ड्राइव कर मैं हस्पताल तक पहुँचता हूँ |जब कार से उतरकर मैं अरोरा जी को कार से बाहर निकालने की कोशिश करता हूँ तो उन की देह मेरे दोनो हाथों पर झूल जाती है |डॉक्टर उन को मृत घोषित कर देता है, उन की पत्नी वहीं रोते हुए अपनी चूड़िया तोड़ने लगती है | मैं हतप्रभ रह जाता हूँ, सुबह चार बजे देखा दृश्य मेरी आँखों के आगे साकार हो उठता है |
क्या जीवन में होने वाली सब बातें पूर्व निश्चित होतीः हैं, क्या हम को आने वाली घटना का पूर्वाभास होसकता है ?
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