मंगलवार, 22 नवंबर 2011

साथ उसका या दोस्ती मेरी |

 
कोई
तुम से बात करे
देखे
तुम को प्यार से
नहीं
मैं सह नहीं सकती
सोच लो
रह लो उसी के साथ
साथ तुम्हारे
मैं ऐसे रह नहीं सकती |

तुम
चाँद हो ,
चाँदनी मैं ,
मुझ को भुला कर
तुम,
दिए की रोशनी से
मोह कर बैठे |

लो
आज कहती हूँ
मैं
तुम को
प्यार करती हूँ
नहीं
ये ना कहो
मैं
उस से जलती हूँ
मगर
काबिल नहीं है
वो तुम्हारे प्यार के |

रहो
तुम दूर उस से,
या सहो
नाराज़गी मेरी,
कहो
मंजूर क्या है,
साथ उसका
या दोस्ती मेरी |
राजीव
२१/११/२०११

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